Monday, July 11, 2016

कबिता मैथिलि



कबिता मैथिलि

प्रान्तर विराण, परती जमिन,

ऊजडल शहर, ऊभन्धीया धरति,

धरति नई धरति क लहास

सुन्दर मिथिला र्निमाण क लेल 

आब कहु ककर करि आस ?

पतितहा भुमि, श्रापित नगरि

अाश्रित जिवन, अनपढ समाज

सुन्दर.........!!

कुपोसित बचपन, बन्धक जवान

के ऊठाएत वक्सा भरल लास

सुन्दर ......!!

दागी नेता, पळपाति सरकार

नष्ट होईत रितिरिवाज, बिगरल संस्कार

सुन्दर ......!!

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